Sunday, April 29, 2018

अपना भी तो दम घुटता है एक अकेले कोने में, तू हो तेरा एहसास न हो, तो क्या है तेरे होने में

स्थान : लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश

आयोजक : क्षेत्रीय परिवहन विभाग, लखीमपुर


लखीमपुर खीरी में 23वें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया। कवियों और शायरों ने भी सड़क सुरक्षा जैसे विषय पर अपनी रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को जागरुक करने का महत्वपूर्ण कार्य किया।

मंच से गूंजे काव्य मोती

विजय शुक्ल 'बादल'

अपना भी तो दम घुटता है एक अकेले कोने में
तू हो तेरा एहसास न हो, तो क्या है तेरे होने में

इलियास चिश्ती (लखीमपुर खीरी)

जिनको अपनी जान से चाहत होती है,
हेलमेट की उन सबको आदत होती है।
लौट के जब वो घर को आते हैं,
घर वालों को कितनी राहत होती है।

मंजर यासीन (सीतापुर)

एक पल में ये क्या हो गया,
दोस्त अहबाब क्या हो गए,
आई जब इम्तेहां की घड़ी,
बावफा बेवफा हो गए।

नवल सुधांशु (लखीमपुर खीरी)

मोहब्बत का मुसाफिर हूं
जवां धड़कन है मेरा घर,
---
मानसरोवर के तट पर मैंने मंदिर एक बनाया है

उमर फारुकी

दिए की लौ से चलो ङ्क्षजदगी संवारी जाए,
श्री कृष्ण तेरी आरती उतारी जाए।
हम अपने आप को समझने लगे शायद,
तमाम उम्र जो तेरे साथ गुजारी जाए।

जीशान चमन (गोला)

दीवार कोई आए न नफरत की बीच में,
तुम भी बजाओ शंख और हम भी अजान दें

मुजाहिद अली (अलीगढ़)

मिटा के अपनी हस्ती को खुद जो
दूसरों को सुकून पहुंचाए,
आदमियत इसी को कहते हैं।

इन्होंने भी किया काव्यपाठ

आदर्श बाराबंकवी, उस्ताद शायर डॉ. मो. शफी सीतापुरी और फारुख सरल ।

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