Saturday, April 28, 2018

रहमतें सिर्फ बरसती हैं उन्हीं लोगों पर जिनके दामन में बुजुर्गों की दुआ होती है

स्थान : कानपुर, उत्तर प्रदेश

आयोजक : हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में स्थित हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय में ओडिशी-2018 के तहत कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आए कवियों ने विद्यार्थियों को गुदगुदाने के साथ ही नसीहतें भी दीं।

मंच से गूंजे काव्य मोती

धीरज सिंह 'चंदन'

सिविल लाइंस अगर हो तुम, मुझे बर्रा समझ लेना।
मैं घंटाघर कसम से तुम तो मोतीझील लगती हो।

डॉ. सुनील जोगी

किसी गीता से न कुरआं से अदा होती है,
न बादशाहों की दौलत से अता होती है।
रहमतें सिर्फ बरसती हैं उन्हीं लोगों पर
जिनके दामन में बुजुर्गो की दुआ होती है।

दिलीप दुबे

हम इस तरह प्यार का इजहार करते हैं,
वह मिस कॉल करती है, जब हम मिसकॉल करते हैं।


इन्होंने भी किया काव्य पाठ

कवि आशीष 'अनल', डा.कमल मुसद्दी, प्रख्यात मिश्रा, पंकज परदेशी, प्रियांशु गजेंद्र, रुपेश सक्सेना, पद्मिनी शर्मा।

No comments:

Post a Comment

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की मित्रों को समर्पित कविता

तप्त हृदय को, सरस स्नेह से , जो सहला दे, मित्र वही है। रूखे मन को, सराबोर कर, जो नहला दे, मित्र वही है। प्रिय वियोग, संतप्त चित्त को,...