Sunday, April 29, 2018

जिन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे, बारिश में पतंग उड़ाया न करो।

स्थान : मधुबनी, बिहार

दिनांक : 29 अप्रेल, 2018

आयोजक : दैनिक जागरण समाचार पत्र समूह


बिहार के मधुबनी में दैनिक जागरण मुजफ्फर यूनिट के 14वें स्थापना दिवस पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कवियों और शायरों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मंच से गूंजे काव्य मोती

शबाना शबनम

तुझे यह खबर नहीं शायद
तू आज भी मेरी अंगडाइयों में रहता है।
तू एक नूर सा
परछाइयों में रहता है
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उंगलियां न सब पर उठाया करो
खर्च करने से पहले कमाया करो।
जिन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे
बारिश में पतंग उड़ाया न करो।
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मजहब के रिश्ते को दर्पण करती शबनम।
कुछ फूल शहादत के अर्पण करती शबनम।
भारत की शहादत पर कुर्बान हुए हैं जो
उन अमर शहीदों को वंदन करती शबनम।

तेज नारायण शर्मा

फरियादी करने कराने में लुट गए।
इमदाद हाकिम की पाने में लुट गए।
लाजों की अस्मत तो मुखिया ने लूट ली।
बाकी जो जेवर थे थाने में लुट गई।

प्रताप फौजदार

आगे-आगे एक नंगा आदमी
भागा चला जा रहा था।
उसके पीछे एक कच्छा पहनकर
भाग रहा था।
मेरे मित्र ने कहा-
प्रताप सिंह यह क्या कलेश है,
यह कैसा भेष है,
मैंने कहा- भाई आगे वाला विकसित और
पीछे वाला विकासशील देश है।

दिनेश दिग्गज

फूलों की तरह रोज खिलो अच्छा लगेगा।
लिबास दोस्तों का सिलो अच्छा लगेगा।
फेसबुक पर तो मिलते हो फालतू लोगों से
गांव जाकर सगे भाइयों से मिलो अच्छा लगेगा।
जमाने के तजुर्बे गूगल पर न मिलेंगे,
मिले जो वक्त मां-बाप के पास जाय करो।
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रास्ता बंद है।
आता कहाँ से है?
आ जाए तो जाता कहाँ से है?
एक अप्रेल से बंद है शराब तो
लाता कहां से है?


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